देहरादून। निर्वाचन आयोग की अनुमति के उपरांत प्रदेश को 246 नये एमबीबीएस चिकित्सक मिल गये हैं। स्वास्थ्य महानिदेशालय ने मार्च 2024 में पास आउट बॉडधारी चिकित्सकों की सूची सभी नौ पर्वतीय जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारियों को तैनाती हेतु सौंप दी है। स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने विभागीय अधिकारियों को नये चिकित्सकों की तैनाती प्राथमिकता के आधार पर चार धाम यात्रा मार्गों पर पड़ने वाले चिकित्सालयों व पर्वतीय क्षेत्रों के स्वास्थ्य केन्द्रों में करने के निर्देश दिये हैं।
सूबे के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को लगातार मजबूत करने में जुटी है। इसी कड़ी में बॉड व्यवस्था के अंतर्गत राज्य के विभिन्न राजकीय मेडिकल कॉलेजों से हाल ही में पास आउट 246 चिकित्सकों को विभिन्न जनपदों में तैनाती दे दी गई है। जहां पर संबंधित मुख्य चिकित्साधिकारी अपने-अपने जनपदों में रिक्तियों के आधार पर बॉडधारी चिकित्सकों को चिकित्सालय आवंटित करेंगे। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने इन नये बॉडधारी चिकित्सकों की तैनाती के लिये निर्वाचन आयोग ने अनुमति मांगी थी, निर्वाचन आयोग की मंजूरी मिलते ही स्वास्थ्य महानिदेशालय ने नये चिकित्सकों की सूची संबंधित जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारियों को सौंप दी है। विभागीय मंत्री ने बताया कि बॉड व्यवस्था के अंतर्गत गढ़वाल मंडल में 161 तथा कुमाऊं मंडल में 85 चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है। जिसमें पौड़ी जनपद में 38, टिहरी 53, चमोली 30, उत्तरकाशी 10, रूद्रप्रयाग 30, पिथौरागढ़ 27, चम्पावत 03, अल्मोड़ा 33 तथा बागेश्वर में 22 चिकित्सक शामिल है।
डा. रावत ने विभागीय अधिकारियों को नये एमबीबीएस चिकित्सकों की तैनाती प्राथमिकता के आधार पर चार धाम यात्रा मार्गों एवं प्रदेश के दुर्गम व पर्वतीय क्षेत्रों के चिकित्सालयों में करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने बताया कि यात्रा मार्गों व पर्वतीय क्षेत्रों में चिकित्सकों की तैनाती करना राज्य सरकार की प्राथमिकता में शामिल है ताकि स्थानीय स्तर पर लोगों व चार धाम आने वाले यात्रियों को आसानी से स्वास्थ्य सुविधाएं सुलभ हो सके।
विभागीय मंत्री डा. रावत ने बताया कि राजकीय मेडिकल कॉलेजों से पासआउट हुये इन सब चिकित्सकों को पूर्व में बॉड व्यवस्था के अंतर्गत किये गये अनुबंध के तहत तैनाती दी गई है, इन सभी एमबीबीएस डॉक्टरों को प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में पांच साल तक सेवाएं देनी अनिवार्य है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि इन नये चिकित्सकों की तैनाती से प्रदेश की पर्वतीय क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाओं में और अधिक सुधार होगा जिससे आम लोग को बड़ी राहत मिलेगी।