इस अवसर पर सचिव स्वास्थ्य ने कहा कि वर्तमान में गतिमान चारधाम यात्रा में यात्रियों की बढ़ती हुई संख्या एक चुनौती के रूप में सामने आई है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की ओर से श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य जांच से लेकर तमाम सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि गत वर्ष यात्रा काल में 55 वर्ष से अधिक के लगभग साढ़े सात लाख लोगों की स्वास्थ्य जांच की गई थी। इस बार हमारा लक्ष्य है कि 50 वर्ष से अधिक के लोगों की ज्यादा से ज्यादा स्वास्थ्य जांच की जाए। उन्होंने बताया कि इस बार यात्रा रूट पर 184 चिकित्सकों की तैनाती की गई है। गत वर्ष 140 डॉक्टर तैनात किए गए थे। इनमें 44 स्पेशलिस्ट चिकित्सक शामिल हैं। उन्होंने कहा कि गत वर्ष पहली बार यात्रा में तैनात चिकित्सकों के साथ ही पैरा मेडिकल स्टाफ को एनएचएम के माध्यम से मानदेय की व्यवस्था की गई थी। इस बार भी यह व्यवस्था जारी रखी जा रही है।
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि चारधाम यात्रा मार्ग पर हमेशा से सुपर स्पेशलिटी सेंटर का अभाव रहा है। इसके दृष्टिगत श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में इस बार कैथ लैब शुरू कर दी गयी है। साथ ही ’यू कोट वी पे’ योजना के जरिये नए सुपर स्पेशलिटी को अपनी सेवाएं देने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कुल 11 भाषा में यात्रा संबंधी एसओपी जारी की गई है, यह एसओपी सभी राज्यों के सचिवों को भेजने के साथ ही यात्रा पर आ रहे श्रद्धालुओं को स्टाफ के माध्यम से उनकी भाषा में वितरित की जा रही है ताकि उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत न हो। इस एसओपी में क्या यात्रा के दौरान क्या करें और क्या न करें कि बारे में जानकारी दी गई है। स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि जानकी चट्टी में पहली बार मेडिकल पॉइंट बनाया गया है। जनसंपर्क के क्षेत्र में पीएसआरआई की अहम भूमिका है। विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी देने और जन जागरूकता में में अहम योगदान दे सकती है। उन्होंने कहा कि संगठन का विस्तार जनपद से लेकर ब्लॉक स्तर तक किया जाए इससे इसकी न केवल सार्थकता होगी बल्कि पीएसआरआई एक ऐसा नेटवर्क भी बनेगा जिसकी पहुंच जन-जन तक होगी।